आज जितने फूल खिले हैं
फूल खिले हैं सब चुन लो तुम
कल फिर गुलशन में उतने ही फूल खिलेंगे
पतझर से घबराना ना जाना ओ माली
आने दो मधुमास ये फिर खिल उठेंगे
सूरज को ढलते देखा है सबने
चंदा को उगते देखा है सबने
पर ना शासन किसी एक का चल पता है
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