दीप हूँ पर ज्योत मेरी बुझ् चुकी है
स्नेह भरा है बात लेकिन जल चुकी है
ले सको तो स्नेह ले लो बात मत रखना ह्रदय पर
रत भर जलता रहा हूँ अब न जलना चाहता हूँ
दो
मैं तो रिता दीपक था
कोने कचरे में पड़ा हुआ
किस कोमल कर ने मुझे उठा कर स्नेह भरा
श्वेत धवल कोमल कपास से बट कर बाती
किसने सजाई मेरी छाती
और जगा दी ज्योत
मुझे अब जलना होगा
जब तक जीवन शेष
तिमिर से लड़ना होगा
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